0 गगनिका सांस्कृतिक समिति ने किया नाटक भुवनेश्वर दर भुवनेश्वर का जीवंत मंचन
यूपी के शाहजहांपुर की रंगभूमि भी उर्वरा है। यहां गांधी भवन के प्रेक्षागृह में कोई न कोई नाटक होते रहते हैं। इसी कड़ी में रविवार की शाम मीराकांत के नाटक “भुवनेश्वर दर भुवनेश्वर” का मंचन हुआ। असंगत नाटक के जनक के रूप में प्रचलित
साहित्यकार भुवनेश्वर शाहजहांपुर के ही थे। उन पर शोध हुए। भुवनेश्वर शोध संस्थान भी यहीं है, जहां उनका साहित्य एकत्र है।
नाटक के कथानक की बात करें, तो उसको शब्दों में नहीं बांधा जा सकता। भुवनेश्वर पर नाटक करना भी एक दुरूह कार्य है। दिवंगत वरिष्ठ रंगकर्मी चंद्रमोहन महेंद्रू को ये मंचन समर्पित किया गया था। सबसे पहले उन्होंने ही इस नाटक का मंचन किया था। इसके यहां अब तक चार मंचन हुए हैं। बीएनए से प्रशिक्षित कप्तान सिंह कर्णधार ने इस नाटक के निर्देशन का जिम्मा उठाया। यही नहीं मुख्य क़िरदार भुवनेश्वर को भी बख़ूबी जिया। आत्मा के रूप में अभिनेता से संवाद द्वंद दिखा। एक संवाद ‘ मरने के बाद भी मरने नहीं देती सरकार ‘ और मठाधीश फ़रिश्ते …क्लास के लिए थे…मास के लिए नहीं। यही वजह रही कुछ दर्शक…जो भुवनेश्वर के बारे में नहीं जानते थे, उनको समझ भी नहीं आया। वह पूछते देखे गए कि कथानक क्या था ? जबकि एक वर्ग ऐसा था जिनको लगा कि काफ़ी दिनों बाद कोई अच्छा नाटक देखने को मिला।
अभिनय की दृष्टि से देखें तो सलोचना कार्की ने अभिनेत्री के बेबाक किरदार को बख़ूबी जिया। अभिनेता बने फ़ाजिल खां ने अपने रोल पर काफ़ी मेहनत की..ऐसा दिखा। काफ़ी दिनों बाद आज़म खान मंच पर नज़र आए। निर्देशक के रूप में उनकी परेशानी चेहरे से नज़र आई। सज्जाकार सचिन कुमार, चायवाला रेहान अहमद, राहगीर शशिभूषण जौहरी पात्रानुरूप रहे। मनीष मुनि की प्रकाश परिकल्पना थी। थोड़ा लाउड संगीत कहीं कहीं संवाद को प्रभावित करता दिखा। संगीत संचालन अमित देव का था। मंच सज्जा एन अंसारी व मोहम्मद वसीम, वेशभूषा प्रवेश दिवाकर व प्रियंका रंजन की रही। स्वर वरिष्ठ रंगकर्मी महेश सक्सेना ने दिया। मंचन के दौरान जो अत्यधिक धुएं का प्रयोग किया गया, उसने रंग में भंग डाला। विजुअल पर इसका इफेक्ट पड़ा। दर्शक भी असहज हुए।
डॉ इंदु अजनबी ने पात्र परिचय कराया। नाटक में डॉ आनंद प्रकाश, पत्रकार कुलदीप दीपक, सैफ असलम सैफ, निखिल महेंद्रू, सुबोध शक्ति, अर्पित गोस्वामी, देवेश प्रजापति, दुष्यंत श्रीवास्तव, रामकुमार, शिवम, रामबाबू, अमित श्रीवास्तव, सुनील बाबू, अश्विनी, मनोज यादव, आयुष गौतम, फैजान अहमद, करन कुमार का सहयोग रहा।
मुख्य अतिथि नगर आयुक्त डॉ विपिन मिश्रा ने चंद्रमोहन महेंद्रू के चित्र पर पुष्प अर्पित किए। मंच पर नारियल फोड़ नाटक का शुभारंभ किया। इस अवसर पर ज़रीफ़ मलिक आनंद, डॉ सुरेश मिश्रा, ज्ञानेंद्र मोहन ज्ञान, प्रमोद प्रमिल, डॉ प्रशांत अग्निहोत्री, भारत अनुराग, मनोज मंजुल, डॉ हेमेंद्र वर्मा, शालू यादव, अरुण प्रताप भदौरिया, अमित त्यागी, कृष्ण कुमार कृष्णा, राजीव सिंह भारत, प्रधान संघ जिलाध्यक्ष अनिल गुप्ता, शाहनवाज खान, आलोक सक्सेना, आशीष बून, शोभित गुप्ता, अनूप कुमार एडवोकेट, संजीव सोनू, विकास भारती, शिवि गुप्ता, नसीम मून, अभिशान्त पाठक, अरशद आज़ाद, शादान खान, दिव्य श्रीवास्तव आदि मौजूद रहे।