हनुमान को क्या बांधा, सोने की लंका जल गई


शाहजहांपुर। ओसीएफ रामलीला में बुधवार को हुए मंचन में दर्शाया गया प्रभु श्रीराम माता सीता का पता लगाने के लिए हनुमान को लंका भेजते हैं। लंका में पहुंचते ही हनुमान का सामना लंकिनी से होता है। वह रावण की लंका की पहरेदारी करती है और हनुमान जी को लंका में प्रवेश करने से रोकती है। हनुमान क्रोधित होकर उस पर लात से वार करते हैं और उसे सुरलोक पहुंचा कर उसका उद्धार करते हैं। लंका में प्रवेश करते ही हनुमान जी माता सीता की खोज कर रहे होते हैं, तभी हनुमान जी को श्री राम ना kiम का स्वर सुनाई देता है हनुमान जी आश्चर्यचकित रह जाते हैं और इधर-उधर देखने लगते हैं देखते हैं। रावण का छोटा भाई विभीषण राम नाम का जाप कर रहे होते हैं। हनुमान विभीषण से भेंट करते हैं और एक दूसरे को अपना परिचय देते हैं। विभीषण बताते हैं माता सीता को रावण ने अशोक वाटिका में रखा है। हनुमान जी अशोक वाटिका जाते हैं और माता सीता को ढूंढते हैं। उनको माता सीता नजर आती हैं। वह एक पेड़ के नीचे वैठी हैं और प्रभु श्री राम को याद कर रही हैं। इतने में ही रावण आ जाता है और माता सीता को डराने की कोशिश करता है। वह माता सीता को एक माह का समय देता है और उनसे अपने आप को अपनाने के लिए कहता है। कहता है अगर मुझे नहीं अपनाया तो मैं तुम्हारा वध कर दूंगा और यह कहकर वहां से चला जाता है।
रावण की दासी त्रिजटा माता सीता की निगरानी करती है। वह माता सीता को अपनी पुत्री समान मानते हैं और माता सीता को धीरज धरने को कहती हैं। माता सीता को अकेला देखकर हनुमान जी माता सीता के सामने आकर अपना परिचय देते हैं तथा प्रभु श्रीराम द्वारा दी गई सोने की मुद्रिका माता सीता को देते हैं। माता सीता प्रसन्न होकर हनुमान को पुत्र का वरदान देते हैं कि हनुमान आज से तो मेरे पुत्र के समान हो हनुमान जी को भूख लगती है। वह माता से आज्ञा लेकर वाटिका में लगे फल खाने का आग्रह करते हैं। माता सीता उनको आज्ञा देते हैं वे फल खाने लगते हैं। इतने में रावण के दूत वहां आकर उनको मना करता हैं और उन पर क्रोध करता हैं। इतने में हनुमान जी दूतों के मना करने पर रावण की सारी वाटिका उजाड़ देते हैं। यह सब देखकर रावण का पुत्र अक्षय कुमार आता है और हनुमान जी से युद्ध करता है। हनुमान जी उसका वध कर देते हैं। हनुमान को रोकने रावण का पुत्र मेघनाथ आता है और अपनी शक्ति के द्वारा हनुमान जी को ब्रह्म फास में बांधकर रावण के सामने लाता है। हनुमान जी रावण को समझाते हैं कि वह माता सीता को सम्मान सहित वापस करते हैं। इससे क्रोधित होकर रावण रावण हनुमान जी को मारने को कहते हैं, लेकिन विभीषण को समझाते हैं। दूत को मारना न्याय संगत नहीं है। इसलिए वह हनुमान जी की पूंछ में आग लगा देता है। हनुमान जी उसी से रावण की सोने की लंका में आग लगा देते हैं और रावण की लंका को खाक कर देते हैं ।
इस मौके पर मंचन सचिव देवेश दिक्षित, संयुक्त सचिव एवं निर्देशक अंकित सक्सेना, सहायक निदेशक सुहेल मोहम्मद , प्रभारी महेंद्र दीक्षित , पर्यवेक्षक सुरक्षा राम मोहन अग्निहोत्री , मंचन मीडिया प्रभारी रोहित सक्सेना , मंच संचालक वरिष्ठ रंगकर्मी सतीश सक्सेना , यशपाल कुकरेजा आदि लोग उपस्थित रहे । आज के मंचन में रावण अंकित सक्सेना , मेघनाथ कौशलेंद्र पांडे , विभीषण अरशद आजाद , हनुमान मोहित कन्नौजिया , महामंत्री संदीप आर्य , सीता रानी मिश्रा, मंदोदरी शिवी , हास्य अभिनेता बटेश्वर दयाल, जवांली अभय कश्यप अक्षय कुमार जय सिंह , एवं चंचल निराली , आरुषि , लक्ष्मी, नैंसी , मानसी आदि एवं आशीष सक्सेना, अंकित अवस्थी , अरविंद वर्मा , प्रिंस सक्सेना , पवन दीक्षित, अरविंद कुमार , मनोज कश्यप , अमित वर्मा, भुवनेश्वर प्रताप , मोहित बाजपेई , पियूष, अजीत आदि कलाकार मंच पर नजर आए ।