..सहारे बेरहम होते हैं, अक्सर छूट जाते हैं


– शाहजहांपुर में हुआ अखिल भारतीय कवि सम्मेलन एवं मुशायरा

शाहजहांपुर। ओसीएफ इस्टेट के श्रीरामलीला मैदान में काव्य की रसधारा बही। कवियों ने देश धर्म के प्रति रचना सार प्रस्तुत किया, तो शायरों ने गज़लों के ज़रिए महबूब के साथ सांझी विरासत पर बात की। अल सुबह तक अखिल भारतीय कवि सम्मेलन एवं मुशायरा चला। रसज्ञ श्रोता न सिर्फ़ डटे रहे, बल्कि दाद से नवाज़ते रहे।

अखिल भारतीय कवि सम्मेलन एवं मुशायरे का शुभारंभ दिल्ली से आयी शायरा मुमताज़ नसीम की माँ वाणी की वंदना व शायर अज़्म शाकिरी की नातिया कलाम से हुआ। युवा गीतकार स्वयम श्रीवास्तव (उन्नाव) ने अपने चिर- परिचित अंदाज में सुनाया.

मुश्किल भी संभलना ही पड़ा घर के वास्ते,
फिर घर से निकलना ही पड़ा घर के वास्ते ।
मजबूरियों का नाम हमने शौक रख लिया,
हर शौक बदलना ही पड़ा घर के वास्ते ।

मुम्बई से आए मशहूर शायर महशर आफरीदी ने अपनी चर्चित गज़लों से खूब तालियाँ बटोरीं…

मुझे लगता है गर्दिश में सितारा चलता है ,
गुजारी जा रही है, बस गुज़ारा चल रहा है ।
मैं काफी देर से कुछ तय नहीं कर पा रहा हूँ,
कि ये कश्ती चल रही है कि किनारा चल रहा है।

जबलपुर से पधारी इकलौती कवियत्री मणिका दुबे ने सुरीले अंदाज़ में प्रेम की बात की, सुनाया…

शहर के शोर में वीरानियाँ हैं ,
यहाँ तुम हो मगर तन्हाइयां हैं ।

फिरोजाबाद के कवि प्रवीण पाण्डेय ने ब्रज के रानी राधिका से अपनी बात शुरू की। छंद व गीत सुनाए

मीठी नदिया जिसकी मंज़िल खारी-खारी है,
जीवन भर आराम न पाने की लाचारी है ।
ग़म तो ग़म है खुशियों में भी गीली रहती है,
इन पलकों पे सबसे ज्यादा जिम्मेदारी है ।

देवबंद, सहारनपुर से आये मज़ाहिया शायर
जहाज़ देवबंदी ने दर्शकों को अपने अंदाज़ से गुदगुदाया। सुरैया के अब्बू उनका पसंदीदा करेक्टर रहा..

तमन्ना का प्याला भरा फिफ्टी फिफ्टी,
हुआ इश्क़ मेरा खरा फिफ्टी- फिफ्टी ।
सुरैया का अब्बा है कोमा में कल से,
मरा तो है लेकिन मरा फिफ्टी- फिफ्टी।

मुम्बई के गीतकार चंदन राय उस बार उतने नहीं जमे…जितने वह जाने जाते हैं। उन्होंने सुनाया..

सभी आते हैं जाते हैं, कहाँ कोई ठहरता है,
ज़रूरत का ज़माना है, मुहब्बत कौन करता है ।

अलीगढ़ की शायरा मुमताज़ नसीम ने दिलकश अंदाज़ में गज़लों को पढ़ा…

दिल को नाशाद करती रहती हूँ ,
खुद को बर्बाद करती रहती हूँ ।

बनके बादल जो मुझ पर बरस जाओगे,
क्या खबर थी कि नस नस में बस जाओगे।
आज मौका है तुम जी भर के देख लो,
देखने को वरना तरस जाओगे ।

संचालन मध्यप्रदेश के कवि शशिकांत यादव ने किया। उनके इस अंदाज़… यादव हूं, मूर्ख नहीं…पर ख़ूब ठहाके लगे..उन्होंने देशप्रेम से जुड़ी रचनाएं पढ़ीं

सीमा की सुरक्षा हेतु जिसने बहाया रक्त,
ऐसे नौजवान की हम उतारे आरती ।
हिन्दी के पुजारी, सूर, कबीर,तुलसी जैसे
पूज्य कीर्तिमानों की उतारें हम आरती ।
वन्देमातरम गीत गाकर शहीद होने वाले
मस्तानों की उतारें हम आरती ।

गंजडुंडवारा एटा से आये शायर अज़्म शाकिरी ने उम्दा शायरी से नवाजा… नए इस्लाम के शेर पर उनको ख़ूब दाद मिली..

कितना मासूम था वो दीवाना,
अपनी आवाज़ भी ना पहचाना ।
जुम्बिशें लव बहुत ज़रूरी है,
वरना हर दास्ताँ अधूरी है ।
जिनकी आदत में जी हुजूरी है,
दिल के छालों को हथेली पे सजा लाया हूँ
गौर से देख मेरी जान मैं क्या लाया हूँ ।

कानपुर से आये मशहूर शायर जौहर कानपुरी ने अपने लहज़े में सुनाया..

रहके महलों में क्यों उड़ान में है ,
तेरा सब कुछ तेरे मकान में है ।
अपने लहज़े को नर्म करके देख,
तेरी इज़्ज़त तेरी ज़बान में है ।

उसको लेकर गया था कांधे पर,
खुद को दफ़ना के आ रहा हूँ ।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ कवि रामेंद्र मोहन त्रिपाठी ने श्रोताओं की पसंद पर अपने पुराने गीतों के साथ साथ नये गीतों के माध्यम से दर्शकों के दिलों में अपनी छाप छोड़ी….

शिकारी तुम, शिकारी हम,
मुनासिब नहीं है लड़ना
चलो एक काम करते हैं,
इलाका बाँट लेते हैं ।

दुःख तो दरिया दिल होता है,
सबके घर आता जाता रहता है ।
सुख शर्मीला, छुई मुई सा,
छूते ही मुरझा जाता है ।

सहारे बेरहम होते हैं, अक्सर छूट जाते हैं ।
जो दिल के पास रहते हैं, वो अक्सर रूठ जाते हैं ।
जमीं पे रहने वाले, झुकके चलना सीख ले वरना,
सितारों का क्या, सितारे टूट जाते है ।

हादसों में हौसला लेके चलो,
जब चलो तो फासला लेके चलो ।
क्या पता कब किससे हो जाए दुश्मनी,
दोस्ती में फासला लेके चलो ।

इस शाम शुभारंभ मुख्य अतिथि आयुध वस्त्र निर्माणी, शाहजहाँपुर के महाप्रबंधक राजेश कुमार वर्मा व विशिष्ट अतिथि टीसीएल महिला कल्याण समिति की उपाध्यक्षा श्रीमती मीरा वर्मा द्वारा माँ शारदे के चित्र पर माल्यार्पण व दीप प्रज्ज्वलित कर किया । श्री वर्मा ने कवियों व शायरों को शाॅल ओढ़ाकर व पुष्प गुच्छ देकर सम्मानित किया,जबकि विशिष्ट अतिथि मीरा वर्मा द्वारा कवियत्री व शायरा को शाॅल ओढ़ाकर व पुष्प गुच्छ देकर सम्मानित किया । सांस्कृतिक समिति के अध्यक्ष दिव्यानन्द पाण्डेय ने श्री वर्मा को बुके देकर उनका स्वागत किया। मीरा वर्मा को किरन सिंह ने बुके देकर स्वागत किया। कैबिनेट मंत्री सुरेश कुमार खन्ना का महाप्रबंधक राजेश कुमार वर्मा ने बुके देकर उनका स्वागत किया।

स्वागत सत्र का संचालन गोविन्द कृष्ण बाजपेयी ने किया। सचिव, सांस्कृतिक समिति शारिक अली व देवेंद्र कुमार के साथ ज़र्रार तिलहरी, शरीफ़ अमीन, जितेंद्र अग्निहोत्री, मो शारिक, मो रिज़वान, असलम तारिक आर डी पाठक का विशेष सहयोग रहा। इस अवसर पर उप महाप्रबंधक शेर सिंह मीणा, प्रकाश प्रभाकर, ॠषि बाबू, छावनी परिषद के उपाध्यक्ष अवधेश दीक्षित, नगर आयुक्त विपिन मिश्रा, कार्यप्रबंधक दीपक, एससी सिंह नगर के साहित्यकार, पत्रकार, सुधी श्रोता मौजूद रहे।