#जो आया है, वो जाएगा। ये ही सत्य है। बाक़ी सब मिथ्या भी हो सकता है। एकादशी के दिन.. #सुचित सेठ भी ने भी अंतिम सांस लेकर शारीरिक कष्ट से मुक्ति पाई…मोक्ष धाम पर अग्नि स्नान के बाद मोक्ष भी। जुड़ाव रखने वाले अंतिम प्रणाम निवेदित करने भी गए…कुछ नहीं भी।
#रविवार को जब सुचित को देखा तबसे मन व्यथित था। शिथिल काया में कोई हरकत नहीं थी। श्रवण शक्ति तो थी, लेकिन भावना व्यक्त करने में लाचारी। ये वो शख्स था, जिससे मिलता था जिंदादिली से…कितनी भी मुश्किलात हों पर आवभगत.. स्वागत सत्कार…आतिथ्य में कोई शिथिलता नहीं। मेरा सुचित सेठ से करीब तीन दशक का साथ रहा। मुझे घुमंतू बाबा का ख़िताब देने वाले सुचित ही थे। मुफलिसी के दौर में सेठीला अंदाज़ जीने की कला सेठ को ही आती थी। एक दौर ऐसा आया कि जब लखनऊ की बड़ी हस्तियां चरन चुम्बन करती थीं…फिर वो भी दौर आया जब अपनों ने भी कन्नी काटने में गुरेज़ नहीं किया। जो पाया…वह सब पर लुटाया..नहीं रहा तो भी अंदाज़ नहीं बदला..जो जुटाया फिर वह लुटाया…आख़िर वो दिन भी आया कि जब…खैर। लोगों में लाख बुराइयां हों.. पर एक दो अच्छाइयां भी होती हैं। सेठ दिल से सेठ था। उसने जिसकी मदद की तन..मन..धन से की, लेकिन जब ख़ुद को ज़रूरत पड़ी तो साया भी साथ छोड़ गया…यही दुनिया है…यही दुनियादारी।
#मैंने जबसे अमर उजाला की चाकरी छोड़ी…तबसे मिलना जुलना ज़्यादा रहा। अगर मैं जाना भूल गया, तो फोन कर बुला लिया गया। पिछले साल बाबा विश्वनाथ के दर्शन का मन किया तो हम साथ निकल लिए। पहले प्रयागराज का संगम स्नान, फिर मिर्जापुर में ननिहाल..मां विंध्याचल देवी के दर्शन और फिर बाबा विश्वनाथ के । काशी में भी किसी को फोन लगाकर vip दर्शन का इंतजाम किया।
#मार्च 24 में मुँह में गांठ निकली। हेल्थ सिटी में दिखाया। जांच हुई। कैंसर की पुष्टि हो गई। अगला घबराया नहीं। केजीएमयू में संपर्क था। वार्ता की ऑपरेशन की डेट मिल गई। वहां के एचओडी प्रोफेसर विजय कुमार ने खुद ऑपरेशन करने का निर्णय लिया। ऑपरेशन हुआ…सब कुछ ठीक। ख़ुद भी मुतमईन थे। कीमो शुरू हुई लोहिया में। तभी एक दाना और निकला। डॉ को दिखाया, उसने फिर जांच कराई..तो पता चला कि कैंसर अन्य हिस्से में पहुँच गया है। अगले ने फिर भी हिम्मत नहीं हारी। इंजेक्शन लगना शुरू हुआ..अभी सितंबर में एक कीमो हुई। इसके बाद डायरिया हो गया…बस वहीं से उल्टी गिनती शुरू हो गई। बार-बार कौन जाए। इस चक्कर में और भी कम डाइट… भाई मुदित ने भरसक प्रयास किए, लेकिन रिकबरी हुई ही नहीं। गत 15 अक्तूबर को आखिरी पोस्ट शेयर हुई। उसके बाद तबियत बिगड़ती चली गई। लखनऊ एडमिट रहे। वहां से भी जवाब दे दिया गया…तो घर ले आए। यहां भी ऑक्सीजन सपोर्ट पर रहे।
#सेठ परिवार में जन्म लेने का असर ही था कि रईसी पूरी दिखाई…भले ही अकाउंट खाली हो। लखनऊ से आते जाते वक्त दो जगह गाड़ी रुकती थी…पहला स्टॉपेज मैगलगंज। जहां से रजनीगंधा व तुलसी के कई डिब्बे। परिचितों, डॉक्टर, पत्रकारों के लिए गुलाब जामुन की मटकियां… फिर सिंधौली में एक रेस्टोरेंट.. वेटर गाड़ी को देखते ही भाग कर आते थे…पता था कि टिप भरपूर मिलेगी। अस्पताल में भी वार्ड से लेकर गार्ड तक खातिरदारी होती थी…यही वजह थी जहां जो काम कई दिन में नहीं होता था…वह कुछ घण्टों में। ये पिछली साल का वाकया है कि हमारे एक पत्रकार मित्र को हार्ट अटैक पड़ गया। यहां से कहा गया कि लखनऊ ले जाओ। संडे का दिन था। जब कुछ नहीं सूझा तो सेठ को फोन किया। कुछ देर में रिपीट कॉल आई। कहा, घुमंतू बाबा आप लॉरी ले जाओ। इमरजेंसी में ये डॉक्टर देखेंगे.. वही एडमिट करेंगे। रात दो बजे लॉरी में न सिर्फ़ देखा गया बल्कि बेड भी मिल गया…फ़िर रिंग भी पड़ गए। अब ये संभव नहीं… मिस U सेठ😢😢
#भाजपा नेता सुचित सेठ की पार्थिव देह को मुखाग्नि उनके छोटे भाई मुदित सेठ ने दी। उनकी मित्र मंडली ने पुष्प चक्र अर्पित किया। अंतिम विदाई के वक़्त पूर्व केंद्रीय मंत्री कृष्णा राज, ब्लाक प्रमुख राजाराम वर्मा, मिंटू खन्ना, धीरू खन्ना, डॉ रवि मोहन, डॉ प्रशांत अग्निहोत्री, अवधेश दीक्षित, आशीष त्रिपाठी, सत्यभान सिंह भदौरिया, विवेक सेंगर, अजय अवस्थी, दिवाकर मिश्रा, अनिल वाजपेयी, पंकज सेठ, माधव सेठ, डॉ प्रभात, अजय शर्मा, सुनील सिंघल, निर्भय अग्रवाल, संजय अग्रवाल, अजय अग्रवाल, ऋषि कपूर, सुमित खन्ना, गुँजन गुप्ता, सचिन शर्मा, रोशन कनोजिया, अपूर्व अग्रवाल, प्रियम चौहान एडवोकेट, वरुण शुक्ला, अखिल मेहरोत्रा, मुकुंद खन्ना, रजत अग्रवाल, रजत कपूर, सोनू राठौर, आशीष कपूर, असीम मेहरोत्रा, राजीव कपूर, अरविंद कुमरा, देवेश वाजपेयी, प्रेमपाल गंगवार, सत्येंद्र प्रकाश शुक्ला एडवोकेट, शिवम शुक्ला, विकास कपूर, डॉ सत्यप्रकाश मिश्रा, डॉ गौरव मिश्रा, पार्षद सुधीर गुप्ता, अखिल मिश्रा, राममोहन, अनूप सेठ, फुल्लू बाबू, मयंक सेठ समेत काफ़ी संख्या में लोग उपस्थित रहे।