शाहजहांपुर। जेल में बंदियों का मनोबल बढ़ाने, उन में पल रहे तनाव को कम करने एवं मनोरंजन के लिए प्रसिद्ध अभिनेता एवं मूल रूप से शाहजहांपुर में जन्मे पले बड़े राजपाल यादव का कार्यक्रम आयोजित किया गया। उनके आगमन पर सर्वप्रथम जेल अधीक्षक मिजाजी लाल द्वारा उन्हें पुष्प गुच्छ भेंट कर सम्मानित किया गया । उनके द्वारा सरस्वती मां को पुष्प माला तथा द्वीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया।
जेल अधीक्षक मिजाजी लाल द्वारा स्टेज पर उन्हें शाल ओढ़ाकर एवं राधा कृष्ण की सुंदर प्रतिमा सम्मानित किया गया। जेल के सभी अधिकारियों के द्वारा भी उन्हें पुष्प गुच्छ भेंटकर स्वागत किया गया। इस अवसर पर पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष अजय यादव, अपर जिला मजिस्ट्रेट वित्त एवं राजस्व सुरेश कुमार क्षेत्राधिकारी नगर ज्योति यादव उपाधीक्षक पुलिस इशिका सिंह, महानगर अध्यक्ष शिल्पी गुप्ता, बैंक ऑफ बड़ौदा के पदाधिकारियों, व्यापारी अशोक अग्रवाल विनोद सर्राफ, कुलदीप सिंह दुआ, कवि इंदू भूषण पांडे ने राजपाल यादव का स्वागत किया। यादव ने इस अवसर पर आयुर्वेदिक वाटिका में पारिजात का पौधा भी रोपित किया। उन्होंने बताया कि उनके द्वारा अबतक 200 से अधिक फिल्मों में काम किया है।उनकी अगली फिल्म भूल-भुलैया रिलीज होने वाली है।तथा दो अन्य फिल्में भी दिसंबर व जनवरी में रिलीज होगी। बंदियों द्वारा उनके स्वागत में स्वागत गान भी गाया।
सिने अभिनेता ने कहा कि वह कारागार के पास ही राजकीय इंटर कॉलेज में पड़े हैं तथा यही की मिट्टी में पले बड़े हुए हैं। उन्होंने 30 वर्ष पहले शाहजहांपुर छोड़ दिया था और मुंबई में रहने लगे लेकिन दीपावली और होली का त्यौहार अपने गांव में ही अपने मां-बाप के साथ मनाते हैं और यहां की मिट्टी को सलाम करने आते हैं।
उन्होंने कहा कि जब भी मैं जेल की दीवारों के पास बाहर से गुजरता था तो मुझे बहुत डर लगता था लेकिन आज जेल के अंदर जाकर इतना सुकून और खुशी महसूस कर रहा हूं की जेल के अंदर भी इतना सुंदर हरा भरा और सकारात्मक तरंगों भरा वातावरण हो सकता है जिसकी मैं कल्पना भी नहीं की यहां के जेल अधीक्षक मिजाजीलाल कि मैं जनपद में प्रशंसा तो बहुत सुनी थी किंतु उनका व्यवहार और जेल के अंदर का वातावरण देखकर के मुझे अलग ही अनुभूति हो रही है उनके सानिध्य में रहकर सभी बंदी अपना आंतरिक परिमार्जन करें और एक नया इंसान बनकर यहां से बाहर जाएं।
उनके द्वारा जिंदगी में हर स्तर पर समझौता बादी दृष्टिकोण अपने पर विशेष जोर दिया और कहा कि और कहा कि यदि आप जिंदगी में समझौता करना सीख जाए तो आपको जिंदगी में कभी दुख हो ही नहीं सकता। अपने जीवन की प्रत्येक परिस्थिति में क्या कब क्यों कैसे और कौन इसकी पड़ताल करने के उपरांत ही निर्णय करना चाहिए। उन्होंने अपनी अनेक पुरानी फिल्मों के डायलॉग बंदियों को सुना कर खूब मनोरंजन किया और उनके द्वारा खूब तालियां बटोरी गई। जैसे “मैं कोई मंदिर का घंटा हूं जिसे हर कोई बजा के चला जक्ता है।
उन्होंने कहा कि मैं जब भी अपने घर आता हूं तो मैं जिन-जिन स्थान पर जाता हूं उसे लिस्ट में जेल भी एक अब जुड़ गई है यदि मेरे प्रयास से बंदियों का थोड़ा भी भला हो सके तो मैं उसके लिए हर समय तैयार रहूंगा उन्होंने महिला बंदियों से भी अलग से मुलाकात की और उनका उत्साह वर्धन किया और कहा कि नारी शक्ति ही विश्व की समस्त प्रेरणाओं का प्रेरणा स्रोत है।