गोला चीनी मिल में हुआ तुलसी-शालिग्राम का विवाह


-बारात निकाली गई, बाराती शामिल हुए

गोला गोकर्णनाथ (खीरी) बजाज हिन्दुस्थान शुगर लिमिटेड चीनी मिल गोला में मंगलवार को देवउठनी एकादशी के मौके पर भगवान विष्णु के स्वरूप शालिग्राम का देवी तुलसी का विवाह बड़े धूमधाम से हुआ। चीनी मिल से बैंड़ बाजों से भगवान शालिग्राम की बारात निकाली जो लक्ष्मी नारायण मंदिर पहुंची जहां पर विवाह संपन्न हुआ।

चीनी मिल कैंपस में रहने वालों के साथ- साथ गोला नगर की सैकड़ों महिलाएं इस विवाह के साक्षी रहे। विवाह का कार्यक्रम मंदिर के पुजारी पंडित दयानन्द पांडे ने संपन्न कराया। इसके मुख्य यजमान युनिट हेड जितेन्द्र सिंह जादौन व उनकी पत्नी श्रीमती सीमा सिंह रहीं। जादौन ने बताया कि कहा जाता है कि कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की एकादशी को श्रीहरि चतुर्मास की निद्रा से जागते हैं, इसीलिए इस एकादशी को देवउठनी एकादशी भी कहते हैं इसे हरिप्रबोधिनी एकादशी या देवोत्थान एकादशी भी कहा जाता हैं। इस दिन से ही हिन्दू धर्म में शुभ कार्य जैसे विवाह आदि शुरू हो जाते हैं । देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूरे विधि विधान से पूजा की जाती है। इस दिन गन्ने और सूप का भी खास महत्व होता है। देवउठनी एकादशी के दिन से ही महिलाएं गन्ना,सूप व सिंगाड़े की विधिवत पूजा करती है। इसे विष्णु भगवान को चढ़ाया जाता है भगवान विष्णु को अर्पित करने के बाद गन्ने को प्रसाद के रूप में बांटा जाता है।
देवउठनी एकादशी के दिन से विवाह जैसे मांगलिक कार्यों की शुरूआत हो जाती है। इस दिन पूजा के बाद सूप पीटने की परंपरा है। एकादशी के दिन भगवान विष्णु नींद से जागते हैं। महिलाएं उनके घर में आने की कामना करती हैं और सूप पीटकर दरिद्रता भगाती हैं। आज भी यह परंपरा कायम है। उन्होंने कहा कि इन चार महीनो में देव शयन के कारण समस्त मांगलिक कार्य वर्जित होते हैं जब देव (भगवान विष्णु) जागते हैं, तभी कोई मांगलिक कार्य संपन्न होता है। देव जागरण या उत्थान होने के कारण इसको देवोत्थानी एकादशी कहते हैं। इस दिन उपवास रखने का विशेष महत्व है कहते हैं इससे मोक्ष की प्राप्ति होती है।