#सामाजिक व साहित्यिक संस्था परिक्रमा ने डॉ आकुल की 24वीं पुण्यतिथि समारोहपूर्वक मनाई
#विभिन्न जगत की छह प्रतिभाओं को किया गया सम्मानित, गीत-गजल से रूबरू हुए श्रोता
शाहजहांपुर की सामाजिक एवं साहित्यिक संस्था ‘परिक्रमा’ द्वारा साहित्यकार स्वर्गीय डॉ गिरिजानंदन त्रिगुणायत आकुल की 24वीं पुण्यतिथि पर आयोजित 22 वें अभिनंदन समारोह का आयोजन स्वामी शुकदेवानंद कॉलेज के नवीन सभागार में संपन्न हुआ। इस अवसर पर विभिन्न विधाओं से जुड़ी हस्तियों को सम्मानित किया गया। समारोह के मुख्य अतिथि मुमुक्षु शिक्षा संकुल के अधिष्ठाता एवं पूर्व केंद्रीय गृहराज्य मंत्री स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती ने कहा कि आश्रम परिवार में सभी तरह के लोग मुझे मिले, लेकिन मुझे डॉक्टर आकुल की तरह का कोई व्यक्ति कभी नहीं मिला, जो वक्ता भी हो लिखता भी हो।
उन्होंने कहा कि वे समाज में फैली कुरीतियों, विसंगति के प्रति लोगों को कलम के माध्यम से जागरूक करते रहे कवि समाज का दृष्टा होता है। यह बात आकुल जी ने सिद्ध करके दिखा दी। वह चाहते कि अन्य लोग भी उनके बताए रास्ते पर चलकर इस आश्रम का नाम रोशन करें तथा समाज को ऐसा कुछ देकर जाएं कि लोग बरसों वर्ष उन्हें याद करते रहें।
कहा, समाज का दर्द उनके कविता में हर जगह कूट-कूट कर भरा दिखाई देता है। डॉक्टर आकुल जीवन पर्यंत पारिवारिक एवं सामाजिक दर्द लेकर जिए। इसके बावजूद उन्होंने अल्प समय में साहित्य क्षितिज पर जो सृजन किया, उसने उन्हें अमृत प्रदान कर दिया। उन्होंने शिक्षा से जुड़े लोगों से अपेक्षा की कि वह कुछ ऐसा करें जिससे उनके साथी इस आश्रम की पहचान बन सकें।
उन्होंने दार्शनिक अंदाज में कहा कि वैसे तो जो कुछ भी होता है, वह भगवान करता है। लेकिन वह लोगों को माध्यम अवश्य बनाता है। मुझे भी उसने इस आश्रम में केजी से लेकर ग पीजी तक की शिक्षा का प्रसार करने का माध्यम बनाया है। साधना सत्य के लिए होती है। सुविधा सुख के लिए होती हैं। उनका हमेशा इस बात का प्रयास रहा कि बच्चों में ऐसे संस्कार डालें जाएं कि वह राष्ट्रभक्ति की भावना जुड़कर समाज के कल्याण के लिए कार्य करें।
आकुल सम्मान से नवाजे गए वरिष्ठ समाजसेवी एवं पत्रकार ओमकार मनीषी ने कहा कि डॉक्टर आकुल एकमात्र ऐसे साहित्यकार थे। जिन्होंने अल्प वर्षों में ही देश को अनेक महाकाव्य प्रदान किए। उनका गद्य और पद्य पर समान रूप से अधिकार था। कविता कहानी लेखक नाटक के माध्यम से हिंदी साहित्य को अमूल्य निधि देने का गौरव प्राप्त है।
इस सम्मान से नवाजी गईं प्रतिष्ठित कवित्री उर्मिला श्रीवास्तव ने अपने काव्य के माध्यम से डॉक्टर आकुल को भावभीनी श्रद्धांजलि दी। जमनालाल बजाज पुरस्कार से सम्मानित विनोबा सेवाश्रम की सचिव विमला बहन ने कहा कि आचार्य विनोबा भावे ने हमें जन्म देने वाली मां पालन करने वाली गाय और धरती माता की उपासना करने का संदेश दिया था। हमें इंद्रियों का दमन दान और दया का भाव सर्वदा अपने जीवन में बनाए रखना चाहिए।
रंगकर्मी सत्यनारायण जुगनू ने कहा कि उन्होंने 11 वर्ष की उम्र से रंगमंच की दुनिया में प्रवेश किया और महिलाओं के पात्रों को को अवनीत प्रसिद्धि पाई। इसके अतिरिक्त जगदीश चंद्र रस्तोगी रंगमंच से और इतिहासकार डॉक्टर नानक चंद्र मल्होत्रा स्वास्थ्य ठीक ना होने की वजह से शामिल नहीं हो सके। इन सभी को इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
समारोह के प्रारंभ में संयोजक तथा परिक्रमा के संस्थापक प्रमोद प्रमिल ने सभी का स्वागत किया। तदुपरांत अतिथियों द्वारा मां शारदे के चित्र पर माल्यार्पण किया। पहली बार आकुल द्वारा रचित मां शारदे की वंदना एलईडी पर प्रस्तुत की गई, जिसे राजेश मिश्रा ने स्वर दिया। इसके बाद मुख्य अतिथि का स्वागत कृभको फैक्ट्री के लेखा विभाग के प्रमुख केके झा, विनोबा सेवा आश्रम के संस्थापक रमेश भैया का दीपक सक्सेना एवं चौहान द्वारा किया गया। तदुपरांतआकुल जी के दो गीत ‘बादलों के बीच चमकी चांदनी कल रात में’ जिसको स्वर सुश्री मीनाक्षी श्रीवास्तव ने दिया। ‘कुछ नए से स्वप्न नैनों में बसा कर देखिए’ जिसका स्वर मनोज कृष्ण ने दिया। गजल ‘दिल के हालात हर एक से यूं ना कहिए’ को सर श्री सुखविंदर सिंह ने दिया।
डॉ आकुल का परिचय डॉक्टर सुरेश चंद्र मिश्रा ने दिया। संचालन कॉलेज के उप प्राचार्य डॉक्टर अनुराग अग्रवाल ने किया। आभार कॉलेज के सचिव डॉक्टर अवनीश मिश्रा ने व्यक्त किया ।समारोह को सफल बनाने में दीपक सक्सेना, हिमांशु मिश्रा, अभिजीत मिश्रा, डॉक्टर पुनीत मनीषी, कुशाग्र, प्रतीक प्रमिल एवं पर्व का योगदान रहा।
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