धर्म संसद लगाई…पर धर्मध्वजा वाहक न आए

#प्रयागराज महाकुंभ में धर्म संसद हुई। पांच हज़ार के क़रीब साधु संत पहुँचे, लेकिन कोई शंकराचार्य आए न ही किसी अखाड़े के महामंडलेश्वर। अयोध्या के संत के अलावा कथावाचक आए। देवकीनंदन ठाकुर ने पीएम से सनातन बोर्ड गठित करने की मांग की। जगद्गुरु विद्या भास्कर ने नारा भी लगाएगा..संभल, मथुरा, विश्वनाथ तीनों लेंगे एक साथ। वर्शिप एक्ट ख़त्म करने की आवाज़ उठाई। वल्लभ दास महाराज ने कहा, मंदिर हर जगह बनाएंगे। जगद्गुरु राघवाचार्य ने कहा कि जो बोर्ड बने इस पर सरकारी नियंत्रण न हो। देवकीनंदन ने कहा, जब पास के किसी देश में हिंदू बोर्ड नहीं है, तो यहां वक्फ़ बोर्ड कैसे ? उन्होंने सनातन बोर्ड के गठन होने के बाद कोई भी पद न लेने की बात कही। शपथपत्र भी दिया। उन्होंने कहा कि ये इतिहास में पहली बार हुआ कि पूरी कैबिनेट ने संगम में डुबकी लगाई हो। पहले आज़म को कुंभ की कमान दी गई थी, जो पंद्रह मिनट देने की बात कहते हैं। अब पंद्रह मिनट में नागा साधु निपटा देंगे…। इसके साथ ही प्रस्ताव रखा गया कि अन्य धर्म में विवाह को रोका जाए। बड़े मंदिर की अपनी बड़ी गौशाला हो। धर्मांतरण को रोकने के लिए गरीबों को मदद दी जाए। सनातन बोर्ड सरकारी न हो। सभी मंदिरों से सरकारी नियंत्रण समाप्त हो। भगवान को क्या भोग लगाया जाए ? ये कोई अधिकारी ये तय न करे।
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