#हादसे के बाद से डायवर्जन बन रहा ‘दुखदाई’
#दिव्य, भव्य, डिजिटल महाकुंभ का उद्घोष लगातार लगाया जा रहा है। यूपी सरकार ने सुविधाओं का ख़ूब प्रचार भी किया है। अब ज़मीनी हकीकत पटरी से उतरती नज़र आ रही है। 29 जनवरी की भगदड़ के बाद मेला प्रशासन ने मीडिया समेत सारे पास अमान्य कर दिए। कहा गया कि पांच फरवरी के बाद बहाली हो जाएगी, लेकिन सात-आठ फरवरी को उमड़ी भारी भीड़ के बाद यातायात प्रबंधन चरमरा सा गया है। अब ऐसा रूट चार्ट बनाया गया है कि दो किमी का रास्ता छह-सात किमी लंबा हो गया है। चौड़ी रोड को भी बंद कर डायवर्जन किया जा रहा है।
# सेक्टर एक में सरकारी पंडाल हैं..मीडिया सेन्टर भी है..वहां काफ़ी चौड़ी सड़क को ब्लाक कर कई किमी पैदल रूट डायवर्जन किया गया है। फाफामऊ पर बस छोड़ देती है, वहां से संगम तक संसाधन नहीं हैं। जिन सिटी बसों का दावा किया जा रहा है, वह ऊंट के मुंह जीरा हैं। हाथ ठेला, ठिलिया, ई रिक्शा व टेंपो वाले एक सवारी के 50 से 200 रुपए तक ले रहे हैं। बाइक वाले भी मजबूरी का फ़ायदा उठा रहे हैं। जो प्राइवेट वाहन से आ रहे हैं, उनको भी आठ-दस किमी दूर ही पार्किंग में रोक दिया गया है। वहां से पैदल परिक्रमा चलती है। सबसे अधिक परेशानी बुजुर्ग व स्थूलकाय लोगों को आ रही है।
#दरअसल, 144 साल का जो टैग लगा है, उसने भीड़ में अधिक इज़ाफ़ा किया है। श्रद्धालुओं को पैदल चलना बहुत मुश्किल तब लग रहा है जब अधिकारी, नेता, न्यायाधीश बगल से सायरन बजाते उनको रोककर चिढ़ाते हुए निकलते हैं। इन वीआईपी के लिए वीआईपी घाट है। अलग रास्ता है। अगर नहीं है, तो डायवर्जन लगाकर बना दिया जाता है। जो पैदल चल रहा है उसकी सुगमता पर विराम लगाकर परिक्रमा करवाई जाती है। अच्छा होता कि ऐसे विशिष्टजन सीधे अरैल घाट पर ही एकत्र होते। वहीं से नहाकर निकल जाते, जैसे पीएम वहीं आकर उड़ लिए, लेकिन जो लाव लश्कर संगम नोज तक जाते हैं…उससे अव्यवस्था फैलती है।
#मेला प्रशासन ने जब वीआईपी ट्रीटमेंट का खाका तैयार किया था, तभी एक रास्ता ऐसा भी बना दिया जाता जिस पर अशक्त व बुजुर्गों के लिए ई रिक्शा चलता। जैसे पहाड़ी देव स्थलों पर खच्चरों के लिए बना है। शनिवार को हजारों बुजुर्गों की पैदल चलकर तबियत खराब हुई। उनको सड़क पर ही बैठ बैठ कर गंतव्य तक जाना पड़ा। रास्तों में बेंच ही डाल दी जातीं, तो राहगीरों को कुछ देर सांसों पर काबू पाने की सहूलियत मिल जाती। लाखों श्रद्धालु आ रहे हैं..आस्था से डुबकी भी लगा रहे हैं। चकाचौंध से मुग्ध भी हैं, पर जब वीआईपी सायरन बजाते कान के पास से उनको रोकते हुए निकलते हैं.. तो वह बरबस ही लानत-मलानत करने लगते हैं।
#जन मन न्यूज़/बलराम शर्मा
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